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मिसिर की कुण्डलिया तुझको इतना मानता, मत करना इंकार। ठुकरा देना याचना, कभी नहीं सरकार।। कभी नहीं सरकार, बैठ मेरे सिरहाने। प्रेम सिंधु में डूब, चलें हम आज नहाने।। कहें मिसिर ...